Class 9th sanskrit November masik test paper 2024: PDF Download

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class 9th sanskrit November masik test paper 2024 | नवंबर माह masik test paper 2024 sanskrit

class 9th sanskrit masik test paper November: कक्षा 9वी संस्कृत नवंबर मासिक टेस्ट पेपर 2024 के लिए यह पोस्ट बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाली है ।आप सभी छात्रों को पता है कि हर महीने मध्य प्रदेशबोर्ड में कक्षा नवी से लेकर कक्षा बारहवीं तक के प्रतिमाएं मंथली टेस्ट लिए जाते हैं ।

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अगर आप भी नवंबर मासिक टेस्ट में सभी विषयों में अच्छे अंक लाना चाहते हैं तो आप सभी के लिए इस पोस्ट में हम आपको नवी विषय की संस्कृत विषय की कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न बताने वाले हैं जो आपको अक्टूबर माह मेंकाफी मदद इन प्रश्नों से मिलेगी ।

verview – masik test exam time table 2024-25

Board MPBSE Bhopal
exam
masik test 
Exam date given below
exam mode offline
session 2024
official website https://rskmp.in/ 

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कक्षा नवी संस्कृत विषय के लिए यह पोस्ट आप लोगों के लिए महत्वपूर्ण है साथ में इस वेबसाइट पर आपको क्वेश्चन नवी के सभी विषयों के नवंबर माह के मंथली टेस्ट पेपर डाउनलोड लिंक सिरी मिल जाएगी ।अगर आप 9th class sanskrit objective paper 2024 November की तैयारी करना चाहते हैं तो आपको इस पोस्ट के नीचे कक्षा नवी संस्कृत विषय के एमसीक्यू क्वेश्चंस भी देखने को मिल जाएंगे आप उनको देखकर अच्छी तरीके से आप अपनी तैयारी भी कर पाएंगे ।

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मासिक मूल्यांकन – माह नवंबर 2024

कक्षा – 9वी

विषय – संस्कृत

समय : 1 घंटा                                                                                                                                          पूर्णांक : 20

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निर्देशाः-

1. सर्वे प्रश्नाः अनिवार्याः सन्ति ।

2. प्रश्नानां सम्मुखे अंकाः प्रदत्ताः ।

3. सर्वेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतेनैव लेखनीयानि ।

प्रश्न 1 उचित विकल्पं चित्वा लिखत

(i) ‘पीताम्बरः’ पदे समासः अस्ति-

(अ) द्वन्द्वः

(ब) कर्मधारयः

(स) बहुव्रीहिः

(द) द्विगुः

1-अधोलिखितेषु अव्ययं नास्ति

(अ) अत्र

(ब) त त्र

(स) सर्वत्र

(द) छात्रः

(ii) ‘द्विगु’ समासस्य उदाहरणम् अस्ति-

(अ) पत्रपुष्पे

(ब) त्रिभुवनम्

(स) अनुरूपम्

(द) दानपात्रम्

3-‘पठित्वा’ इत्यस्मिन् पदे प्रत्ययः अस्ति –

(अ) क्तवतु

(ब) क्त्वा

(स) तुमुन्

(द) क्तः

(iii) ‘पितरौ’ पदस्य विग्रहः अस्ति-

(अ) माता च पिता च

(ब) माता पिता

(स) मातृ पितृ

(द) मातरी पितरी

.4 एकपदेन उत्तरम् लिखत –

(i) कुत्र दरिद्रता न भवेत?  ‘वचने दरिद्रता न भवेत्’.

(ii) अजातशिशुः कुत्र सुरक्षितः तिष्ठति? मातृगर्भे

(iii) वृद्धि संधेः उदाहरणम् अस्ति ? ‘परम + औषध = परमौषध’ 

(iv) मानवः कुत्र सुरक्षितः तिष्ठति? पर्यावरणकुक्षौ।

3. उचितं युग्ममेलनं कुरुत

(क) पवनः              (1) रसालः

(ख) आम्रम्।                (2) मनोहर:

(ग) मनः + हरः             (3)उपसर्गः

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(घ) परि.                      (4) पो + अनः

प्र. 4. अधोलिखितेषु एकं विषयं स्वीकृत्य विंशत्यधिक शतशब्देषु (120) संस्कृतेनैव निबंधं लिखत (4)

(क) संस्कृतभाषायाः महत्वम्

(ख) पर्यावरणम्

(ग) महाकविः कालिदासः

संस्कृतभाषायाः महत्त्वविषये निबन्धः

संस्कृत भाषा अस्माकं देशस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। प्राचीनकाले सर्वे एव भारतीयाः संस्कृतभाषाया एव व्यवहारं कुर्वन्ति स्म। कालान्तरे विविधाः प्रान्तीयाः भाषाः प्रचलिताः अभवन्, किन्तु संस्कृतस्य महत्त्वम् अद्यापि अक्षुण्णं वर्तते। सर्वे प्राचीनग्रन्थाः चत्वारो वेदाश्च संस्कृतभाषायामेव सन्ति। संस्कृतभाषा भारतराष्ट्रस्य एकतायाः आधारः अस्ति। संस्कृतभाषायाः यत्स्वरूपम् अद्य प्राप्यते, तदेव अद्यतः सहस्रवर्षपूर्वम् अपि आसीत्। संस्कृतभाषायाः स्वरूपं पूर्णरूपेण वैज्ञानिक अस्ति । अस्य व्याकरणं पूर्णतः तर्कसम्मतं सुनिश्चितं च अस्ति ।

जो पूरी तरह से परिष्कृत, अर्थ में शुद्ध, त्रुटि रहित या व्याकरणिक रूप से परिष्कृत है, वह संस्कृत है। इस प्रकार यह शब्द, जो कृधातु से पहले उपसर्ग सैम से व्युत्पन्न हुआ है, संस्कृत के रूप में संबोधित किया जाता है। देवताओं की उसी भाषा को गिरवाण्व, देववां, अमरवाण, गरवागीता और अन्य नाम कहा जाता है। इस भाषा को सभी भारतीय भाषाओं की जननी, भारतीय संस्कृति की जीवनदायिनी, भारतीय धार्मिक दर्शन की प्रवर्तक और अन्य सभी भाषाओं में सबसे पुरानी और सबसे सम्मानित माना जाता है।

हमारे सभी प्राचीन साहित्य संस्कृत में लिखे गए हैं, सभी वैदिक साहित्य, रामायण, महाभारत, पुराण, दार्शनिक ग्रंथ, स्मृतियाँ, कविताएँ, नाटक, गद्य, नैतिकता और कथा ग्रंथ इस भाषा में लिखे गए हैं। इस संस्कृत भाषा में गणित, ज्योतिष, कविता, आयुर्वेद, अर्थशास्त्र, राजनीति, पद्य, ज्ञान और विज्ञान सभी उपलब्ध हैं। यह अपने आप में संस्कृत भाषा के अपार गौरव को सिद्ध करता है।

संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे समृद्ध शास्त्रीय भाषा है। संस्कृत भारत और विश्व की भाषाओं में सबसे प्राचीन है। भाषा को संस्कृत वाक, भारती, सुर भारती, अमर भारती, अमरवाणी, सुरवानी, गिरवानी, गिरवानी, देववाणी, देवभाषा, देवीवाक और अन्य नामों से जाना जाता है।संस्कृत के शब्दों का प्रयोग अधिकतर भारतीय भाषाओं में किया जाता है। अधिकांश भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है। इस बीच, इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की कई भाषाएं संस्कृत प्रभाव और संस्कृत शब्दों की प्रचुरता को दर्शाती हैं।

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व्याकरण द्वारा सुसंस्कृत भाषा लोगों के लिए संस्कृति का स्रोत है। महर्षि पाणिनि की कृति, जिसे अष्टाध्यायिका कहा जाता है, दुनिया की सभी भाषाओं के व्याकरण ग्रंथों में से एक है और व्याकरणविदों, भाषाविदों और भाषाविदों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

संस्कृत साहित्य विश्व साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। संस्कृत के सबसे पुराने ग्रंथ वेद हैं। यह ईश्वर का वचन है जो वेदों, शास्त्रों और पुराणों में फलता-फूलता है। न केवल धर्म, धन और वासना साहित्य को सुशोभित करते हैं, बल्कि धार्मिक, नैतिक और आध्यात्मिक भी हैं

इतिहास, काव्य, नाटक, दर्शन आदि के अनंत साहित्य के रूप में इसकी वस्तुएँ मनुष्य के चतुर्भुज उद्देश्य का कारण हैं, जो मुक्ति हैं यह दवावणी सांसारिक और दिव्य दोनों विषयों से संपन्न है।

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