Rambhadracharya Ka Jivan Parichay : स्वामी रामभद्राचार्य जीवन परिचय, रचनाएँ और भाषा शैली

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Rambhadracharya Ka Jivan Parichay :- कवि रामभद्राचार्य ‘गिरिधर’ का जन्म जनवरी महीने की चौदहवीं तारीख को सन् 1950 ई. में उत्तर-प्रदेश के जौनपुर जिले के गाँव शाणीपुर में हुआ था। [ Rambhadracharya Ka Jivan Parichay ] इनका पूरा नाम स्वामी रामभद्राचार्य है। दो वर्ष की अल्पायु में ही इनके दोनों नेत्रों की ज्योति सदा के लिए चली गई और ये कुछ भी देख नहीं सकते थे। इन्होंने अपने ही अध्यवसाय से और निरुत्साहित हुए बिना ही विद्यार्जन का उपाय स्वयं ढूँढ़ निकाला और अभ्यास करके ही श्रीमद्भगवद्गीता एवं रामचरितमानस इन्हें कंठस्थ हो गये। श्री ‘गिरिधर’ जी (जो इसी उपनाम से प्रसिद्ध हैं और लोगों द्वारा समादरित होते हैं) ने अपनी सभी परीक्षाओं में- प्रथम से लेकर एम. ए. तक-99 (निन्यानवे) प्रतिशत अंक प्राप्त किये। आपके ऊपर माँ शारदा के असीम कृपा और वरदहस्त रहा है।

Table of Contents

Rambhadracharya Ka Jivan Parichay
Rambhadracharya Ka Jivan Parichay Rambhadracharya Ka Jivan Parichay

 

हम आधुनिक हिंदी साहित्य के लोकप्रिय गजलकार और लेखक स्वामी रामभद्राचार्य ‘गिरिधर’ का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बिंदु (Points) जानकारी (Information)
नाम (Name) जगत गुरु स्वामी राम भद्राचार्य
जन्म (Date of Birth) 14 जनवरी सन 1950
आयु 70 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place) जौनपुर, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम (Father Name) पं. राजदेव मिश्र
माता का नाम (Mother Name) शचीदेवी
पत्नी का नाम (Wife Name) ज्ञात नहीं
पेशा (Occupation ) सत्संग
भाई-बहन (Siblings) चचेरी बहन
अवार्ड (Award) पद्मविभूषण
Read More :  Trilochan Ka Jivan Parichay :त्रिलोचन शास्त्री जीवन परिचय, रचनाएँ और भाषा शैली

 

‘होनहार विरवान के होत चीकने पात’ वाली कहावत अक्षरशः सत्य सिद्ध होती है। वे उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के प्रत्येक अवसर को प्राप्त करने में कभी पीछे नहीं रहे। इन्होंने संस्कृत व्याकरण सम्बन्धी किसी महत्वपूर्ण विषय में पी-एच. डी. की डिग्री प्राप्त करके अपनी कुशाग्र बुद्धित्व का परिचय दिया तथा कुछ समय के बाद संस्कृत के किसी अति महत्वपूर्ण विषय में डी. लिट्. की उपाधि भी प्राप्त कर ली। उपर्युक्त विवरण हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मरि श्रम और निरन्तर अध्यवसाय से मनुष्य अपने ध्येय तक पहुँचने में सफल हो सकता है। सफलता के शिखर पर उत्साही और अपनी क्षमताओं में अटूट विश्वास रखने वाले ही पहुँचकर अपने देश और समाज को उन्नति पथ पर ले जाते हैं। ऐसे ‘गिरिधर’ जी को हम सम्मान प्रतिष्ठा देते हुए गौरवान्वित अनुभव करते हैं।

Rambhadracharya Ka Jivan Parichay साहित्य-सेवा :- श्री ‘गिरिधर’ जी ने हिन्दी साहित्य और संस्कृत साहित्य के विकास के लिए निरन्तर प्रयास किया। उन्होंने दोनों भाषाओं में अनन्यतम ग्रंथों की सर्जना करके सूरकालीन भक्तियुग की परम्पराओं को अक्षुण्य बनाने का सतत् प्रयास किया है। उनका प्रयास अत्यन्त स्तुत्य है। भाषा में शास्त्रीयता विद्यमान है, साथ ही साथ लोकभाषा के प्रयोग एवं उसके सम्वर्द्धन के प्रयास अभी भी निरन्तर किए जा रहे हैं। संस्कृत भाषा को सामान्य जनभाषा के रूप में विकसित करने का तथा उसके प्रयोग की विधि में सरलता, सरसता एवं प्रवाह उत्पन्न करने का प्रयत्न आपके द्वारा किया जा रहा है। हमें विश्वास है कि ‘गिरिधर’ जी के दिशा निर्देशन में हिन्दी साहित्य एवं संस्कृत साहित्य अपने चरम विकास को प्राप्त कर सकेगा।

रचनाएँ :- स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा रचित कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

(1) प्रस्थानमयी काव्य – प्रस्थानमयी काव्य की रचना आचार्य जी ने संस्कृत भाषा में की । इस ग्रंथ की भाषा में सरसता और सरलता है तथा भाव-सम्प्रेषण की क्षमता विद्यमान है।

(2) भार्गव राघवीयम् महाकाव्य-‘भार्गव राघवीयम्’ एक महाकाव्य है। इसकी रचना संस्कृत भाषा में की गई है। अपने प्रकार का यह अद्वितीय महाकाव्य है।

(3) अरुन्धती महाकाव्य- इस महाकाव्य की रचना कवि श्री रामभद्राचार्य जी ने हिन्दी में की है। विषयवस्तु समाज के परिवेश में नवीनता उत्पन्न करके सुधार की परिकल्पना से बन्ध रखती है। जब 75 ग्रन्थों की रचना हिन्दी भाषा में की गई है। हिन्दी का स्वरूप परिष्कृत और परिमार्जित है।

Read More :  Munshi Premchand ka Jivan Parichay : मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय, रचनाएं और भाषा शैली

साहित्य और शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए आपने ‘जगद्‌गुरु’ रामभद्राचार्य विकलांग सावविद्यालय’ की स्थापना चित्रकूट में की है। शासन द्वारा आपको इस विश्वविद्यालय का जीवनपर्यन्त कुलाधिपति बनाया गया है।

साहित्य सेवा के लिए पुरस्कार – आपको भारतीय संघ के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा-

(1) महर्षि वेदव्यास वादरायण पुरस्कार दिया गया है। इस पुरस्कार के लिए जीवनपर्यन्त एक लाख रुपये प्रतिवर्ष दिए जाते हैं।

(2) भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। इसके लिए पचास हजार रुपये दिये जाते हैं।

(3) दो लाख का श्री वाणी अलंकरण – यह पुरस्कार रामकृष्ण डालमिया वाणी न्यास, नई दिल्ली द्वारा दिया गया।

भाव-पक्ष :- (1) प्रेम और हृदय की उदात्तता- कवि रामभद्राचार्य की रचनाओं के भाव पक्षीय सबलता स्तुत्य है। हृदयगत भाव वास्तुजगत के प्रभाव से अनुभूतिजन्य हैं जिनमें प्रेम और हृदय की उदात्तता परिलक्षित होती है।

(2) वात्सल्य रस- भक्ति रस के परिपाक से सम्प्रक्त होकर अति पुष्ट होता गया है।

कला-पक्ष :- (1) भाषा – भाषा भावानुकूल प्रयुक्त हुई है। उसमें शास्त्रीयता का प्राधान्य है। भाषा का परिष्कृत स्वरूप लोकभाषा के विकास को नई दिशा देते हैं। अतः लोकभाषा में प्रवाह की प्रबलता है। कवि ने भाव को स्पष्ट करने के अनुरूप ही भाषा का प्रयोग किया है।

(2) शैली- कवि ने सूरदास की मुक्तक गेय-पद शैली को अपनाया है। उसमें विषय की विशदता और गम्भीरता को अनायास ही सरसता देकर एक विशेष शैली का अन्वेषण किया है।

(3) अलंकार योजना- कवि का अपने काव्य में अलंकार संयोजन सप्रयोजन नहीं होता है। वह तो अनायास ही भाव के अभिव्यक्तिकरण के लिए अपने आप ही प्रवेश प्राप्त कर लेते हैं। इनकी कृतियों में उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अनुप्रास आदि महत्त्वपूर्ण सभी अर्थालंकारों और शब्दालंकारों का प्रयोग परिलक्षित होता है।

(4) छंद-योजना- कवि ने मुक्तक-छंद की संयोजना की है जिसे हम भक्तियुगीन सूरदास के चंद विधान के समकक्ष पाते हैं। अन्तर है, तो केवल भाषा का। सूर की भाषा परिष्कृत ब्रजभाषा है और रामभद्राचार्य जी की भाषा परिनिष्ठित खड़ी बोली हिन्दी।

Read More :  Mirabai Ka Jivan Parichay : मीराबाई जीवन परिचय, रचनाएँ और भाव पक्ष - कला पक्ष

साहित्य में स्थान :- कवि रामभद्राचार्य ‘गिरिधर’ हिन्दी और संस्कृत भाषा के विकास के लिए प्रयासरत है। उनके रचित ग्रन्थ हिन्दी और संस्कृत साहित्य की अक्षुण्यनिधि हैं। हम आशा करते हैं कि आपके द्वारा संस्कृत और हिन्दी साहित्य का विकास दिशा निर्दिष्ट होता रहेगा। हिन्दी और संस्कृत जगत आपके नृत्य कार्यों के लिए चिरऋणी है।

Balmukund Gupt ka Jeevan Parichay : बाल मुंकुद गुप्त – लेखक परिचय, रचनाएँ, भाषा शैली, साहित्य में स्थान

PDF & Notes Download Social Media

Official Website Click Here
Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

स्वामी रामभद्राचार्य ‘गिरिधर’ से संबंधित सामान्य प्रश्न (FAQs) नीचे दिए गए हैं:


Q1: स्वामी रामभद्राचार्य ‘गिरिधर’ कौन हैं?

उत्तर: स्वामी रामभद्राचार्य (जन्म: 14 जनवरी 1950) एक प्रसिद्ध हिंदू संत, विद्वान, बहुभाषाविद, कवि, लेखक, और शिक्षाविद हैं। वे तुलसीदास के रचनाओं के महान व्याख्याता माने जाते हैं और ‘जगद्गुरु रामानंदाचार्य’ पीठ के आचार्य हैं।


Q2: स्वामी रामभद्राचार्य का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: स्वामी रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था।


Q3: उन्हें ‘गिरिधर’ नाम कैसे मिला?

उत्तर: उनका बचपन का नाम ‘गिरिधर मिश्र’ था। यह नाम भगवान श्रीकृष्ण (जो गोवर्धन पर्वत को धारण करने के कारण ‘गिरिधर’ कहलाते हैं) से प्रेरित होकर रखा गया था।


Q4: स्वामी रामभद्राचार्य किन-किन विषयों में निपुण हैं?

उत्तर: वे संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली, अंग्रेजी सहित कई भाषाओं के विद्वान हैं। वे वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत, और भगवद्गीता के गहन ज्ञाता हैं।


Q5: उन्होंने कौन-कौन सी पुस्तकें लिखी हैं?

उत्तर: उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की है, जिनमें ‘श्रीरामचरितमानस’ की टीका, ‘गीता’ की व्याख्या और कई महाकाव्य शामिल हैं।


Q6: स्वामी जी का शिक्षण संस्थान कौन-सा है?

उत्तर: स्वामी जी ने ‘जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय’ (चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) की स्थापना की है, जो दिव्यांग जनों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता प्रदान करता है।


Q7: स्वामी रामभद्राचार्य को कौन-कौन से सम्मान प्राप्त हुए हैं?

उत्तर: उन्हें ‘पद्मविभूषण’ (2015) से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।


Q8: क्या स्वामी जी ने रामायण पर कोई विशेष कार्य किया है?

उत्तर: हाँ, उन्होंने ‘श्रीरामचरितमानस’ पर गहराई से शोध और व्याख्या की है और कई रामायण पर आधारित ग्रंथों की रचना की है।


Q9: क्या वे नेत्रहीन हैं?

उत्तर: हाँ, वे बचपन से ही दृष्टिहीन हैं, लेकिन उनकी स्मरणशक्ति और ज्ञान अद्भुत है।


Q10: स्वामी रामभद्राचार्य का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: उनका मुख्य उद्देश्य समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना, दिव्यांग जनों के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।

 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Reply